"जैसे-जैसे मानव सभ्यता का विकास हुआ, मनुष्य ने अपनी पसंद का आर्थिक, सामाजिक अ सांस्कृतिक वातावरण बनाने की कोशिश में पर्यावरण को बदलना शुरू कर दिया। इसके परिणामस्वरूप धीरे-धीरे प्राकृतिक संसाधनों की कमी और पर्यावरण का क्षरण हुआ। जल अधिनियमों के राष्ट्रीय विधानों के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।